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Sunday, December 27, 2009

*यज्ञोपवित को नियमित रूप से शुद्ध/ससक्त करने का मन्त्र *

    जनेऊ  या  यज्ञोपवित  को  नियमित  रूप  से  शुद्ध/ससक्त   करने  हेतु   निम्न  मन्त्र  का  उच्चारण  करें  -
       ॐ  यज्ञोपवितम  परमं  पवित्रं   प्रजा-पतेर्यत -सहजं  पुरुस्तात  !
           आयुष्यं   अग्र्यं  प्रतिमुन्च  शुभ्रं  यज्ञोपवितम  बलमस्तु  तेजः  !!
        इसके  पश्चात  गायत्री  - मन्त्र  का  कम  से  कम  ११  बार  उच्चारण   करते  हुए  जनेऊ   या  यज्ञोपवित   को  शुद्ध  / सशक्त   करें  !
  -  आचार्य  रंजन -- ज्योतिषाचार्य  एवं वास्तु  विशेषज्ञ   सह   निदेशक  "  महर्षि  भृगु  ज्योतिष  संस्थान ,  बेगुसराय

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