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Sunday, December 20, 2009

* यज्ञोपवित या जनेऊ धारण करने हेतु मन्त्र *


        जनेऊ  या  यज्ञोपवित  धारण  के  पूर्व   स्वयं  को  पहले  स्नान   के  उपरांत   शुद्ध   कर लेने  के  पश्चात  अपने   दोनों  हाथों  में चित्रानुशार   लेकर  निम्न  मन्त्र  का  उच्चारण  करें  -
       ॐ  यज्ञोपवितम  परमं  पवित्रं   प्रजा-पतेर्यत -सहजं  पुरुस्तात  !
           आयुष्यं   अग्र्यं  प्रतिमुन्च  शुभ्रं  यज्ञोपवितम  बलमस्तु  तेजः  !!
           यग्योपवितमसी   यज्ञस्य  त्वाय  यज्ञोपवितम   तेनोपन्ह्यामी  !! "
     इसके  पश्चात  गायत्री  - मन्त्र  का  कम  से  कम  ११  बार  उच्चारण   करते  हुए  जनेऊ   या  यज्ञोपवित   धारण  करें  !
  -  आचार्य  रंजन -- ज्योतिषाचार्य  एवं वास्तु  विशेषज्ञ   सह   निदेशक  "  महर्षि  भृगु  ज्योतिष  संस्थान ,  बेगुसराय

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