" ॐ यज्ञोपवितम परमं पवित्रं प्रजा-पतेर्यत -सहजं पुरुस्तात !
आयुष्यं अग्र्यं प्रतिमुन्च शुभ्रं यज्ञोपवितम बलमस्तु तेजः !!
इसके पश्चात गायत्री - मन्त्र का कम से कम ११ बार उच्चारण करते हुए जनेऊ या यज्ञोपवित को शुद्ध / सशक्त करें !
- आचार्य रंजन -- ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ सह निदेशक " महर्षि भृगु ज्योतिष संस्थान , बेगुसराय