" ॐ यज्ञोपवितम परमं पवित्रं प्रजा-पतेर्यत -सहजं पुरुस्तात !
आयुष्यं अग्र्यं प्रतिमुन्च शुभ्रं यज्ञोपवितम बलमस्तु तेजः !!
यग्योपवितमसी यज्ञस्य त्वाय यज्ञोपवितम तेनोपन्ह्यामी !! "
इसके पश्चात गायत्री - मन्त्र का कम से कम ११ बार उच्चारण करते हुए जनेऊ या यज्ञोपवित धारण करें !- आचार्य रंजन -- ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ सह निदेशक " महर्षि भृगु ज्योतिष संस्थान , बेगुसराय
... बेहद प्रभावशाली ब्लाग है, मंत्रों के साथ यदि ब्रेकेट में हिंदी भावार्थ भी प्रकाशित हो तो ज्यादा फ़ायदेमंद होगा !!!!
ReplyDeletebahut achhi lagi apki yah jaankari
ReplyDeleteधन्यवाद , श्याम जी ,आगे से आपकी सुझाव का ध्यान रखने का अवश्य प्रयत्न करूंगा - आचार्य रंजन
ReplyDeleteमुझे काफी डीनो से जनेऊ धारण करने का मंत्र चाहिए था
ReplyDeleteधन्यवाद आचार्य जी
Download kr leta net see Bina janu ka ghum rha tha papi
Deleteइस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आपका धन्यवाद ।।
ReplyDeleteबहुत अच्छा साथ मे अनुवाद भी लिखे
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ReplyDeleteजनेऊ धारण मन्त्र के लिए आपका आभारी हुॅ।धन्यबाद ।
ReplyDeleteइसमें विनियोग मंत्र नहीं है। कृपा वो भी दाल दे।
ReplyDeleteजनेऊ धारण करने के लिए कहाँ जाएं
ReplyDeleteया स्वयं धारण कर ले???
और इसके सूत का धागा कितना होना चाहिए
इसके बारे में समस्त जानकारी दें
धन्यवाद
Incorrect grammer
ReplyDeleteBahut achha lga plz aage bhi jaari rakhiyega.
ReplyDeleteJanau mantra ke bad praan pratistha mantra batayen na sir
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteGood work pandit
ReplyDeleteपंडितजी से आग्रह है कि आप वत्स गोत्र का janu मंत्र bheje
ReplyDeleteश्रेष्ठ ! क्या सभी ब्राह्मणों के लिए यग्योपवित मंत्र 1 ही है या अलग अलग है ?
ReplyDeleteकृपया बताएं और अलग अलग अलग हैं तो कृपया मैथिल ब्राह्मण का जनेऊ मंत्र बताएं। धन्यवाद...