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Sunday, December 20, 2009

* यज्ञोपवित या जनेऊ धारण करने हेतु मन्त्र *


        जनेऊ  या  यज्ञोपवित  धारण  के  पूर्व   स्वयं  को  पहले  स्नान   के  उपरांत   शुद्ध   कर लेने  के  पश्चात  अपने   दोनों  हाथों  में चित्रानुशार   लेकर  निम्न  मन्त्र  का  उच्चारण  करें  -
       ॐ  यज्ञोपवितम  परमं  पवित्रं   प्रजा-पतेर्यत -सहजं  पुरुस्तात  !
           आयुष्यं   अग्र्यं  प्रतिमुन्च  शुभ्रं  यज्ञोपवितम  बलमस्तु  तेजः  !!
           यग्योपवितमसी   यज्ञस्य  त्वाय  यज्ञोपवितम   तेनोपन्ह्यामी  !! "
     इसके  पश्चात  गायत्री  - मन्त्र  का  कम  से  कम  ११  बार  उच्चारण   करते  हुए  जनेऊ   या  यज्ञोपवित   धारण  करें  !
  -  आचार्य  रंजन -- ज्योतिषाचार्य  एवं वास्तु  विशेषज्ञ   सह   निदेशक  "  महर्षि  भृगु  ज्योतिष  संस्थान ,  बेगुसराय

18 comments:

  1. ... बेहद प्रभावशाली ब्लाग है, मंत्रों के साथ यदि ब्रेकेट में हिंदी भावार्थ भी प्रकाशित हो तो ज्यादा फ़ायदेमंद होगा !!!!

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  2. धन्यवाद , श्याम जी ,आगे से आपकी सुझाव का ध्यान रखने का अवश्य प्रयत्न करूंगा - आचार्य रंजन

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  3. मुझे काफी डीनो से जनेऊ धारण करने का मंत्र चाहिए था
    धन्यवाद आचार्य जी

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    1. Download kr leta net see Bina janu ka ghum rha tha papi

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  4. इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आपका धन्यवाद ।।

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  5. बहुत अच्छा साथ मे अनुवाद भी लिखे

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. जनेऊ धारण मन्त्र के लिए आपका आभारी हुॅ।धन्यबाद ।

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  8. इसमें विनियोग मंत्र नहीं है। कृपा वो भी दाल दे।

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  9. जनेऊ धारण करने के लिए कहाँ जाएं
    या स्वयं धारण कर ले???
    और इसके सूत का धागा कितना होना चाहिए
    इसके बारे में समस्त जानकारी दें
    धन्यवाद

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  10. Bahut achha lga plz aage bhi jaari rakhiyega.

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  11. बहुत-बहुत धन्यवाद सर

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  12. पंडितजी से आग्रह है कि आप वत्स गोत्र का janu मंत्र bheje

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  13. श्रेष्ठ ! क्या सभी ब्राह्मणों के लिए यग्योपवित मंत्र 1 ही है या अलग अलग है ?
    कृपया बताएं और अलग अलग अलग हैं तो कृपया मैथिल ब्राह्मण का जनेऊ मंत्र बताएं। धन्यवाद...

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